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अब बजेगा बेंड पार्ट 5

धर्मेंद्र के पिता ने पैसे उड़ाते हुए गाना गाया फिर धर्मेंद्र की मां खुश होकर उन पैसों को उठाती है और कहती है।

"इन पैसों से में बनारसी साड़ी लेकर आऊंगी, क्या बात है, आज आप बहुत खुश है और नोटों की बारिश कर रहे हैं, कोई खजाना मिल गया क्या"?

"ऐसा ही समझो जानेमन"! "हमारा बेटा धर्मेंद्र कहां है"? तुम दोनों को एक खुशखबरी सुनानी है"।

"धर्मेंद्र अपनी होने वाली बहू को रोड तक छोड़ने गया है, धर्मेंद्र कह रहा था ,उसने राधिका को पूरी पटा ली है"।

"अरे, अब उसे पूरी पटाने की जरूरत नहीं है"। धर्मेंद्र के पिता ने कहा

"क्यों"? धर्मेंद्र की मां ने पूछा

इस क्यों का जवाब धर्मेंद्र उसी सिंगल पट्टी सड़क पर राधिका के साथ रोमांस करते हुए देता है

क्योंकि तुम ही होअब तुम ही हो।मेरी जिंदगी।अब तुम ही हो।मेरा चैन भी।मेरा दर्द भी।मेरी आशिकी।अब तुम ही हो।

"तुम्हें छोड़कर जाने का मन तो नहीं कर रहा है पर क्या करूं"? "मजबूरी है, और मेरे जाने के बाद, तुम मुझे भूल मत जाना"। राधिका ने गंभीरता से कहा

"मैं, तुम्हें भूल जाऊं यह हो नहीं सकता और तुम, मुझे भूल जाओ यह मैं होने नहीं दूंगा, मैं सुबह से शाम तक इसी सड़क पर तुम्हारा इंतजार करूंगा,अब सिर्फ तुम्हारे लिए जिऊंगा और तुम्हारे लिए ही मरूंगा"। धर्मेंद्र ने फिल्मी स्टाइल में कहा

"कांव-कांव"। कौवे की आवाज

"तुम जब भी कोई अच्छी बात बोलते हो तो कौवे की आवाज क्यों आती है"? राधिका ने पूछा

"मेरे दिल की आवाज को केवल कौवा ही समझ सकता है"।

"ओह नाइस"! "अब मैं चलती हूं, जल्दी आऊंगी"। राधिका ने धर्मेंद्र को गले लगा कर, नम आंखों से अलविदा कहा और चली गई।

"धर्मेंद्र अपने घर आकर पिता से कहता है -"पापा खुशखबरी है"।

"मेरे पास भी तेरे लिए खुशखबरी है"। पर पहले तू सुना

"मैंने अपनी होशियारी से राधिका को एक दिन में ही पूरी के पूरी पटा ली, आप शादी की तैयारी करो पापा ,अब आप अपनी खुशखबरी सुनाओ"। धर्मेंद्र ने प्रसन्न भाव से कहा

"मैंने तेरे लिए दूसरी लड़की ढूंढ ली है, तू राधिका को भूल जा"। धर्मेंद्र के पिता ने कहा

"मैंने राधिका से सच्चा प्यार किया है, मेरे इस इरादे को दुनिया की कोई ताकत नहीं बदल सकती पापा"।

"एक बार मेरी बात सुन ले, अगर तेरा इरादा नहीं बदले तो मुझे अपना बाप मत कहना, मैंने तेरे लिए जिस लड़की को ढूंढा है, वह कैटरीना कैफ से भी खूबसूरत है और हमें दहेज में 1 करोड़ रुपए नगद, 5 करोड़ का बंगला और एक कार मिलेगी, अपनी किस्मत जिंदगी में पहली बार चमकी है, इसे चमकने दे"। धर्मेंद्र के पिता ने कहा

"तुम्हारी बात और गधे की लात में कोई फर्क नहीं है और तुम मुझे दौलत का लालच देकर, मेरे सच्चे प्यार को खरीदना चाहते हो तो मेरी बात कान खोल कर सुन लो, मैं पहले लड़की को देखूंगा, अगर राधिका से अच्छी लगी तो ही अपने सच्चे प्यार का गला घोटूगां"।

"ठीक है यह ₹5000 ले और नए कपड़े जूते चप्पल चश्मा सब ले आना"।

तभी धर्मेंद्र का फोन बजता है और वह फोन उठाते हुए घर से बाहर आता है तो उसके कानों में आवाज पड़ती है।

'मैं धनराज सेठ की इकलौती बेटी वंशिका बोल रही हूं, कैसे हो आप"?

"मैं तो हमेशा मजे में रहता हूं, तुम बताओ"?

"मैं ठीक हूं, हम घर से निकल गए हैं, दोपहर 1:00 तक आपके घर आ जाएंगे, मैंने जब से आपकी वीडियो देखी है, मैं कब से आपकी दीवानी हो गई हुं, मुझे ऐसे साथी की तलाश थी जो मुझे हमेशा खुश रख सके और हंसा सके, और देखो में कितनी खुशनसीब हुं मुझे तुम मिल गये"। राधिका ने कहा

"खुशनसीब तो मैं भी हुं जो मुझे तुम जैसा माल मिल रहा है"। धर्मेंद्र ने व्यंग भाव से कहा

"हा,, हा,,"! "यू सो फनी, अब आ कर बातें करते हैं, बाय"।

धर्मेंद्र अपने मन में सोचता है पहले तो एक का  फजीता  पढ़ रहा था, अब एक साथ दो मिल गई है, किस को धोखा दूं और किस को मौका दूं,एक काम करता हूं, दोनों को मौका देता हूं, एक बनेगी घरवाली एक बनेगी बाहरवाली, हां,,,,"। धर्मेंद्र ने अपने अंदाज में कहा

दोपहर के 1:00 बज गए हैं, धर्मेंद्र अपने माता-पिता के साथ घर के बाहर खड़ा होकर वंशिका का इंतजार कर रहा है, तभी उसके घर के सामने एक कार आकर रूकती है, जिसमें से धनराज सेठ बाहर आते हैं फिर उनकी लड़की वंशिका निकलती है, जिसे देखकर धर्मेंद्र और उसके माता-पिता की सीटी-बीटी गुल हो जाती है, चेहरे पर चिंताओं के भाव आ जाते हैं, और तीनों पसीने से तरबतर हो जाते हैं, क्योंकि वह लड़की और कोई नहीं, हूं बहू राधिका की तरह ही दिखती है।

"कैसे हो आप सभी धनराज सेठ ने पूछा"?

तीनों में से किसी के मुंह से आवाज नहीं निकलती है, तीनों टुकुर-टुकुर वंशिका को देख रहे हैं।

आप तिनों मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो"? "जैसे मैं कोई भूत हुं ।वंशिका ने कहा

"अरे समधी जी, हमें यही खड़े रखोगे या अपने घर में भी ले जाओगे"। धनराज ने कहा

"चलो अंदर चलते हैं, जो भी होगा घर के अंदर निपट लेंगे, यहां बाहर गांव इकट्ठा करने से क्या फायदा"? धर्मेंद्र के पिता ने कहाफिर सभी घर के अंदर आकर बैठ जाते हैं

वंशिका धर्मेंद्र को अपने सामने देखकर बहुत खुश लग रही है तभी धनराज धर्मेंद्र के पिता से कहते हैं -"कैसी लगी आपको मेरी बेटी"?

"राधिका जैसी"। धर्मेंद्र के पिता ने कहा

"पर आपका बेटा कृष्ण जैसा नहीं है, मुझे तो यह शक्ति कपूर जैसा लगता है"। धनराज ने हंसते हुए कहा

"समधी जी, आप की कितनी बेटियां हैं"? धर्मेंद्र के पिता ने संकोच से पूछा

"मेरी 500 करोड़ की वारिश, मेरी इकलौती बेटी वंशिका ही है, मेरी और कोई औलाद नहीं है, अगर दूसरी बार आपने यह सवाल पूछा तो आपका मुंह तोड़ दूंगा"। धनराज ने खड़े होकर गुस्से में कहा

"गुस्सा क्यों होते हो समधी जी, मैंने तो ऐसे ही पूछा था, अब ठंडे हो जाओ और नीचे बैठ जाओ"।

"पापा मैं धर्मेंद्र से अकेले में कुछ बातें करना चाहती हूं"। वंशिका ने पिता से कहा

"ठीक है, कहीं अकेले में चले जाओ और जो भी बात करो, ठोंक बजाकर करना"।धनराज ने बुलंद आवाज में कहा

"धर्मेंद्र बेटा आज तो तेरा बैंड बजने वाला है, यह दोनों बाप बेटी ठोकने पीटने की बात कर रहे हैं, यह पागल लड़की पहले तो राधिका बनकर तेरे घर आई और अब धनराज सेठ की बेटी बनकर आई है, धर्मेंद्र ने अपने मन में विचार किया।

धर्मेंद्र और वंशिका छत पर अकेले हैं, धर्मेंद्र के मन में कई द्वंद्व और संशय है, तभी धर्मेंद्र वंशिका की कलाई पर v का निशान देखता है, जिसे देखकर उसे थोड़ी राहत मिलती है क्योंकि उसने राधिका की कलाई पर कोई निशान नहीं देखा था।

"देखो धर्मेंद्र मुझे घुमा फिरा कर बात करना नहीं आता है, मैं खुले विचारों वाली लड़की हूं, इसलिए साफ-साफ बात करना पसंद करती हूं, क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई और लड़की है"? "क्योंकि मैं किसी और का प्यार छीन कर अपना घर नहीं बता सकती"।

"धर्मेंद्र अपने मन में विचार करता है, सच बोलूं या झूठ बोलूं, सच बोल कर आज तक किसे क्या मिला है"? "लोग भगवान श्रीकृष्ण को यूंही नहीं छलिया कहते हैं, और वैसे भी दुनिया में एक शक्ल के सात लोग होते हैं फिर मैं क्यों डबल रोल देखकर घबराऊं, यह विचार करके धर्मेंद्र कहता है"।

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2 Comments

Babita patel

03-Jul-2024 08:37 AM

👍👍👍

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Varsha_Upadhyay

12-Jun-2024 04:40 PM

Nice part

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